ऊंचा अम्बर थी आवोनी प्रभुजी -(२)
दर्शन करवा ने तलसे आंखड़ी -(२)

रुमझुम रुमझुम आवो हो प्रभु जी -(२)
राह जोई मैं रातड़ी

सूरज ने चाँदला ना दिवला प्रकटाविया
टम टमाता तारलाने मार्गे बिछाविया
ऊभि अधीर हूँ तो जोऊ वाटलडी
दर्शन करवा ने तलसे आंखड़ी
ऊंचा अम्बर थी.......

आवो ने नयनो मां थी अमिरत बरसावजो
कापो ने कर्मो म्हारा भक्ति स्वीकार जो
मुखलड़ू जोवा हु तो थयो उतावलो
दर्शन करवा ने तलसे आंखड़ी
ऊंचा अम्बर थी.......

भक्ति ने भाव थी नमन करता
मस्तक अमारू तारा चरणोंमां धरता
आत्तुर तुम संग करता वातलडी
दर्शन करवा ने तलसे आंखड़ी
ऊंचा अम्बर थी......